जिद्दी रिपोर्टर अपडेट.... *विपक्ष की फूट नहीं जनता से जुड़ाव ही केपी सिंह की हर बार विजय श्री का कारण है* ...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट....
*विपक्ष की फूट नहीं जनता से जुड़ाव ही केपी सिंह की हर बार विजय श्री का कारण है*
सुनील शर्मा (संपादक)
पिछोर अब से 3 दशक पूर्व पिछड़े क्षेत्रों में शुमार होता था। यथा नाम तथा गुण बना पिछोर को लोग यह मानकर चलते थे की यहां पर कोई कद्दावर नेतृत्व नही है। इसलिए यहां के वाशिंदे अपने भाग्य भरोसे थे उसका एक और प्रमुख कारण है कि यह क्षेत्र जिला मुख्यालय से दूर उत्तर प्रदेश की सीमा पर लगा हुआ था इसलिए भी शासन प्रशासन ने यहां कभी भी विशेष ध्यान नहीं दिया। इसके विपरीत यहां के जनप्रतिनिधि किसी खास के प्रतिनिधि बनकर यहां का नेतृत्व करते रहे परंतु स्वयं पिछोर को मजबूत नेतृत्व कभी नहीं मिल पाया था लेकिन जब पिछोर के हिस्से में कांग्रेस ने केपी सिंह जैसा पहलवान दिया उसके बाद तो मानो पिछोर की दशा और दिशा दोनों ही बदल गई पिछडों में शुमार होने वाला पिछोर विकास की गति में तेज दौड़ गया उन सब के पीछे जहां केपी सिंह की कद्दावर शैली केवल पहलवानी में नहीं बल्कि अपने क्षेत्र-वासियों को हक के साथ वह सब दिलवाना है जो लोकतंत्र में उनके हिस्से में आता है। उसी का कारण है की पिछोर विधायक के पी सिंह का जनता दरबार कहे जन-सुनवाई कहे या जनसंपर्क जो प्रमुख रूप से हर माह मैं दो बार नहीं तो एक बार ज़रूर ही पिछोर खनियाधाना भौती बामौर एवं अन्य स्थानों पर होती है जिसमें हर बार संख्या सैकड़ों में और कभी तो हजारों में पहुंच जाती है जिसे देख अच्छे-अच्छे राजनैतिक पंडित दांतो तले उंगली दबा लेते हैं कि आखिर 25 वर्ष से विधायकी कर रहे के पी सिंह में आखिर वह कौनसी चुंबक है, जो पब्लिक को जोड़े हुए हैं हमारे संवाददाता ने स्वयं मौके पर रह कर पाया कि हर समस्या का हल निकालने में केपी सिंह कक्काजू को महारत हासिल है। चाहे द्विपक्षीय विवाद हो या व्यक्ति का जिले से लेकर भोपाल तक की समस्या हो,केपी सिंह व्यक्तिगत रुचि लेकर उसे मौके पर ही हल निकालते हैं, एक के बाद एक व्यक्ति से सुबह 11:00 बजे से लेकर देर रात तक मिलना उस पर उसे संतुष्ट करना और खुशी-खुशी वापस करना, रोज के नजारे हैं इससे एक कदम आगे एक बड़ी संख्या मैं वो लोग भी आते हैं। जिन्हें किसी से विवाद नहीं, जो आर्थिक तंगी से झूल रहे हैं वह समस्या परिवार में शादी ब्याह बीमारी को लेकर भी हो सकती है। इसमें भी विधायक के पी सिंह अपनी टीम को निर्देशित कर संबंधित को हर संभव मदद कर उसके परिवार में अपना स्थान बनाए हुए हैं। यही कारण है कि विपक्ष लाख जतन कर ले पिछोर के इस पहलवान को राजनीति में मात नहीं दे सका है।
जिसे लेकर लोग विपक्ष की फूट बताते हैं, परंतु यह भूल जाते हैं कि के पी सिंह विपक्ष की फूट नहीं जनता से जुड़े होने से शानदार सफलता पाते हैं।
*विपक्ष की फूट नहीं जनता से जुड़ाव ही केपी सिंह की हर बार विजय श्री का कारण है*
सुनील शर्मा (संपादक)
पिछोर अब से 3 दशक पूर्व पिछड़े क्षेत्रों में शुमार होता था। यथा नाम तथा गुण बना पिछोर को लोग यह मानकर चलते थे की यहां पर कोई कद्दावर नेतृत्व नही है। इसलिए यहां के वाशिंदे अपने भाग्य भरोसे थे उसका एक और प्रमुख कारण है कि यह क्षेत्र जिला मुख्यालय से दूर उत्तर प्रदेश की सीमा पर लगा हुआ था इसलिए भी शासन प्रशासन ने यहां कभी भी विशेष ध्यान नहीं दिया। इसके विपरीत यहां के जनप्रतिनिधि किसी खास के प्रतिनिधि बनकर यहां का नेतृत्व करते रहे परंतु स्वयं पिछोर को मजबूत नेतृत्व कभी नहीं मिल पाया था लेकिन जब पिछोर के हिस्से में कांग्रेस ने केपी सिंह जैसा पहलवान दिया उसके बाद तो मानो पिछोर की दशा और दिशा दोनों ही बदल गई पिछडों में शुमार होने वाला पिछोर विकास की गति में तेज दौड़ गया उन सब के पीछे जहां केपी सिंह की कद्दावर शैली केवल पहलवानी में नहीं बल्कि अपने क्षेत्र-वासियों को हक के साथ वह सब दिलवाना है जो लोकतंत्र में उनके हिस्से में आता है। उसी का कारण है की पिछोर विधायक के पी सिंह का जनता दरबार कहे जन-सुनवाई कहे या जनसंपर्क जो प्रमुख रूप से हर माह मैं दो बार नहीं तो एक बार ज़रूर ही पिछोर खनियाधाना भौती बामौर एवं अन्य स्थानों पर होती है जिसमें हर बार संख्या सैकड़ों में और कभी तो हजारों में पहुंच जाती है जिसे देख अच्छे-अच्छे राजनैतिक पंडित दांतो तले उंगली दबा लेते हैं कि आखिर 25 वर्ष से विधायकी कर रहे के पी सिंह में आखिर वह कौनसी चुंबक है, जो पब्लिक को जोड़े हुए हैं हमारे संवाददाता ने स्वयं मौके पर रह कर पाया कि हर समस्या का हल निकालने में केपी सिंह कक्काजू को महारत हासिल है। चाहे द्विपक्षीय विवाद हो या व्यक्ति का जिले से लेकर भोपाल तक की समस्या हो,केपी सिंह व्यक्तिगत रुचि लेकर उसे मौके पर ही हल निकालते हैं, एक के बाद एक व्यक्ति से सुबह 11:00 बजे से लेकर देर रात तक मिलना उस पर उसे संतुष्ट करना और खुशी-खुशी वापस करना, रोज के नजारे हैं इससे एक कदम आगे एक बड़ी संख्या मैं वो लोग भी आते हैं। जिन्हें किसी से विवाद नहीं, जो आर्थिक तंगी से झूल रहे हैं वह समस्या परिवार में शादी ब्याह बीमारी को लेकर भी हो सकती है। इसमें भी विधायक के पी सिंह अपनी टीम को निर्देशित कर संबंधित को हर संभव मदद कर उसके परिवार में अपना स्थान बनाए हुए हैं। यही कारण है कि विपक्ष लाख जतन कर ले पिछोर के इस पहलवान को राजनीति में मात नहीं दे सका है।
जिसे लेकर लोग विपक्ष की फूट बताते हैं, परंतु यह भूल जाते हैं कि के पी सिंह विपक्ष की फूट नहीं जनता से जुड़े होने से शानदार सफलता पाते हैं।
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