जिद्दी रिपोर्टर अपडेट... मेरी भी एक जेब है , जो आजकल रहती है खाली... सुनील शर्मा(संपादक) सुनील शर्मा पत्रकार बच्चे कहते है , यह...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट...
मेरी भी एक जेब है ,
जो आजकल रहती है खाली...सुनील शर्मा(संपादक)
बच्चे कहते है ,
यही हाल रहा तो जल्दी आ जाएगी कंगाली ।।
एक तो मंदी की मार , उस पर ट्राफिक पुलिस का अत्याचार ।
आजकल जनता यमराज से कम ट्रैफिक पुलिस से ज्यादा डरती है क्योंकि सरकार का नया मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन एवं भारी भरकम जुर्माने से आम आदमी की कमर तोड़ दी है , अब मंदी की मार आम जनता तक पहुंच गई है ,और इसका असर एक आम इंसान तक आ गया है ,इसका एक छोटा सा उदाहरण हैं मेरे मित्र एवं साथीगण जिनकी जेबों में पैसे भरे रहते थे ,आज वह पैसों को लेकर बगले झांकने लगे हैं ।
कारखानों का उत्पादन धीरे-धीरे घटता जा रहा है ,जिसकी वजह से कर्मचारियों की छटनी शुरू हो गई है ,और बेरोजगारी पैर फैलाने लगी है । बाजारों का यह हाल है दुकानदार ग्राहकों को ताकते हैं ,जैसे आशिक अपनी महबूबा का इंतजार करते हैं, वैसे ही दुकानदार ग्राहकों का इंतजार करते हैं ,अगर भूले भटके कोई ग्राहक आ जाए ,तो वह भी मजबूरी में आता है ,और उसकी जेब उसको इजाजत नहीं देती के वह सामान खरीद सके ।
अगर मंदी का यही हाल रहा तो बहुत जल्द श्मशान घाट की लकड़ियां किस्तों पर मिलेगी या आम आदमी को किसी बैंक से ऋण लेना पड़ेगा कफन दफन के लिए । इस मंदी के दौर में सरकार का नया कानून ट्रैफिक को लेकर जिसमें कम से कम ₹500 और ज्यादा से ज्यादा ₹10000 का प्रावधान किया गया है , ऐसा लगता है ,सरकार ने मंदी से निपटने के लिए ट्रैफिक पुलिस को मोहरा बनाया है ,और शायद उनको टारगेट दिया गया होगा की आपको रोज़ के इतने चालान करना है ,और यह पैसा सरकारी खजाने में जमा करना है , इससे ट्राफिक पुलिस वालों की चांदी हो गई है ,पहले ट्रैफिक वाले बगैर रसीद काटे जैसा मुर्गा हो वैसे सौदा हो जाता था,पर अब मुर्गा छोटा हो गया है ,अब तो ट्रैफिक पुलिस वाले बकरे को ढूंढेंगे यानी पहले ₹50 से ₹100 तक की कमाई होती थी बगैर रसीद वालों से अब 100 एवं 2000 के पत्ते से काम चलेगा , चलो इस मंदी के दौर में अब पुलिस वालों को तो फायदा पहुंचेगा , इतने भारी भरकम चालान से नेताओं एवं मंत्रियों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि यह मार एक आम आदमी पर पड़ेगी ,आम आदमी स्कूटर से घूमता है , नेता एवं मंत्री सरकारी गाड़ियों से घूमते हैं ,मज़े की बात यह है ,सरकार हमसे रोड टैक्स के नाम पर हजारों रुपए लेती है और हम बात करें शिवपुरी की सड़कों की , अन्य शहरों की सड़क पर इतने बड़े-बड़े गड्ढे हैं ,की अगर इन गड्ढों में पानी भर दिया जाए तो स्विमिंग पूल की जरूरत नहीं है ।
पार्टियों से ऊपर उठकर अपनी परेशानी एवं अपने मित्रों की परेशानियों को देखें और इसके लिए अपने स्तर पर विरोध प्रकट करें यही हल है सरकारों की मनमानी रोकने का ।
बहुत हो गई धर्मों की राजनीति सबसे बड़ा धर्म इमानदारी की रोज़ी, पेट भर रोटी ,बच्चों की शिक्षा एवं सस्ता इलाज 🙏
(संपादक)
सुनील शर्मा
मेरी भी एक जेब है ,
जो आजकल रहती है खाली...सुनील शर्मा(संपादक)
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सुनील शर्मा पत्रकार |
बच्चे कहते है ,
यही हाल रहा तो जल्दी आ जाएगी कंगाली ।।
एक तो मंदी की मार , उस पर ट्राफिक पुलिस का अत्याचार ।
आजकल जनता यमराज से कम ट्रैफिक पुलिस से ज्यादा डरती है क्योंकि सरकार का नया मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन एवं भारी भरकम जुर्माने से आम आदमी की कमर तोड़ दी है , अब मंदी की मार आम जनता तक पहुंच गई है ,और इसका असर एक आम इंसान तक आ गया है ,इसका एक छोटा सा उदाहरण हैं मेरे मित्र एवं साथीगण जिनकी जेबों में पैसे भरे रहते थे ,आज वह पैसों को लेकर बगले झांकने लगे हैं ।
कारखानों का उत्पादन धीरे-धीरे घटता जा रहा है ,जिसकी वजह से कर्मचारियों की छटनी शुरू हो गई है ,और बेरोजगारी पैर फैलाने लगी है । बाजारों का यह हाल है दुकानदार ग्राहकों को ताकते हैं ,जैसे आशिक अपनी महबूबा का इंतजार करते हैं, वैसे ही दुकानदार ग्राहकों का इंतजार करते हैं ,अगर भूले भटके कोई ग्राहक आ जाए ,तो वह भी मजबूरी में आता है ,और उसकी जेब उसको इजाजत नहीं देती के वह सामान खरीद सके ।
अगर मंदी का यही हाल रहा तो बहुत जल्द श्मशान घाट की लकड़ियां किस्तों पर मिलेगी या आम आदमी को किसी बैंक से ऋण लेना पड़ेगा कफन दफन के लिए । इस मंदी के दौर में सरकार का नया कानून ट्रैफिक को लेकर जिसमें कम से कम ₹500 और ज्यादा से ज्यादा ₹10000 का प्रावधान किया गया है , ऐसा लगता है ,सरकार ने मंदी से निपटने के लिए ट्रैफिक पुलिस को मोहरा बनाया है ,और शायद उनको टारगेट दिया गया होगा की आपको रोज़ के इतने चालान करना है ,और यह पैसा सरकारी खजाने में जमा करना है , इससे ट्राफिक पुलिस वालों की चांदी हो गई है ,पहले ट्रैफिक वाले बगैर रसीद काटे जैसा मुर्गा हो वैसे सौदा हो जाता था,पर अब मुर्गा छोटा हो गया है ,अब तो ट्रैफिक पुलिस वाले बकरे को ढूंढेंगे यानी पहले ₹50 से ₹100 तक की कमाई होती थी बगैर रसीद वालों से अब 100 एवं 2000 के पत्ते से काम चलेगा , चलो इस मंदी के दौर में अब पुलिस वालों को तो फायदा पहुंचेगा , इतने भारी भरकम चालान से नेताओं एवं मंत्रियों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि यह मार एक आम आदमी पर पड़ेगी ,आम आदमी स्कूटर से घूमता है , नेता एवं मंत्री सरकारी गाड़ियों से घूमते हैं ,मज़े की बात यह है ,सरकार हमसे रोड टैक्स के नाम पर हजारों रुपए लेती है और हम बात करें शिवपुरी की सड़कों की , अन्य शहरों की सड़क पर इतने बड़े-बड़े गड्ढे हैं ,की अगर इन गड्ढों में पानी भर दिया जाए तो स्विमिंग पूल की जरूरत नहीं है ।
पार्टियों से ऊपर उठकर अपनी परेशानी एवं अपने मित्रों की परेशानियों को देखें और इसके लिए अपने स्तर पर विरोध प्रकट करें यही हल है सरकारों की मनमानी रोकने का ।
बहुत हो गई धर्मों की राजनीति सबसे बड़ा धर्म इमानदारी की रोज़ी, पेट भर रोटी ,बच्चों की शिक्षा एवं सस्ता इलाज 🙏
(संपादक)
सुनील शर्मा
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