शिवपुरी- जिले के खनियाधाना विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) कार्यालय में वर्ष 2018-19 से 2024-25 के बीच करोड़ों रुपये के गबन का मामला सामने ...
शिवपुरी- जिले के खनियाधाना विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) कार्यालय में वर्ष 2018-19 से 2024-25 के बीच करोड़ों रुपये के गबन का मामला सामने आया है। कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी ने गंभीर वित्तीय अनियमितताओं पर संज्ञान लेते हुए चार कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, जबकि विकासखंड शिक्षा अधिकारी प्रकाश सूर्यवंशी के निलंबन का प्रस्ताव संभागायुक्त को भेजा गया है।
घोटाले का खुलासा
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीईओ कार्यालय में 40 व्यक्तियों के खातों में कुल 1 करोड़ 4 लाख 42 हजार 763 रुपये की कपटपूर्ण भुगतान की शिकायत प्राप्त हुई थी। इसके साथ ही 20 अन्य व्यक्तियों के खातों में वेतन व अन्य भत्तों के नाम पर 50,000 रुपये से अधिक की संदिग्ध राशि ट्रांसफर की गई थी। कलेक्टर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम पिछोर शिवदयाल धाकड़ की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति गठित की। इसमें शिक्षा विभाग की सहायक संचालक शालिनी दिनकर, सहायक पेंशन अधिकारी संतोष कुर्मी और कोषालय लिपिक अमित यादव शामिल थे।
जांच रिपोर्ट में खुली गड़बड़ियाँ
जांच समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में यह पाया गया कि 40 में से 18 व्यक्तियों के खातों में 68 लाख 77 हजार 121 रुपये का कपटपूर्ण भुगतान किया गया। वहीं, 20 में से 8 व्यक्तियों के खातों में 6 लाख 19 हजार 274 रुपये संदिग्ध रूप से स्थानांतरित किए गए। इसके अलावा सहायक ग्रेड-3 ओमकार सिंह धुर्वे द्वारा विभागीय खाते से 6 लाख 3 हजार 199 रुपये निकाले गए, और लेखपाल सुखनंदन रसगैया को अक्टूबर 2020 में अतिरिक्त 24,200 रुपये वेतन के रूप में दिए गए। इस प्रकार कुल गबन राशि 81 लाख 23 हजार 728 रुपये आंकी गई है।
कर्मचारी निलंबित, बीईओ पर भी कार्रवाई प्रस्तावित
जिला शिक्षा अधिकारी समर सिंह राठौड़ ने जानकारी दी कि इस मामले में संलिप्त पाए गए चार कर्मचारियों—गणक सुखनंदन रसगैया, सहायक ग्रेड-2 गिरेन्द्र कुमार कघरिया, सहायक ग्रेड-3 ओमकार सिंह धुर्वे, और माध्यमिक शिक्षक (उच्च प्रभार उ.मा.शि.) यशपाल सिंह बघेल को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही विकासखंड शिक्षा अधिकारी प्रकाश सूर्यवंशी के विरुद्ध भी कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए उनका निलंबन प्रस्ताव संभागायुक्त को भेजा गया है।
शिक्षा विभाग में सामने आई इस वित्तीय अनियमितता ने न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि सरकारी योजनाओं और जनधन की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। फिलहाल मामले की आगे की जांच जारी है और अन्य संलिप्त अधिकारियों पर भी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
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