जिद्दी रिपोर्टर अपडेट.... ग्वालियर, सड़कों पर लगातार वाहनों की संख्या बढ़ रही है और इसके साथ ही प्रदूषण भी। शहर में एयर पॉल्युशन खतरनाक ...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट....
ग्वालियर, सड़कों पर लगातार वाहनों की संख्या बढ़ रही है और इसके साथ ही प्रदूषण भी। शहर में एयर पॉल्युशन खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है और लोगों को सांस लेने तक में परेशानी हो रही है। एयर पॉल्युशन के लिए कचरा जलाने के बाद सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुंआ है। मगर, 31 मार्च 2020 से बीएस 6 वाहन आने वाले हैं और इसके बाद एयर पॉल्युशन में राहत मिलने के आसार नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है यदि शहर में सिर्फ बीएस 6 वाहन हों तो एयल पॉल्युशन 13 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। खास बात यह है भारत स्टेंडर्ड-6 (बीएस) आने के बाद 1 अप्रैल 2020 से बीएस-4 वाहनों की बिक्री नहीं होगी।
बीएस-6 में पीएम 2.5 का उत्सर्जन 75 फीसदी तक कम है। वहीं बीएस 6 ग्रेड फ्यूल में सल्फर की मात्रा भी 50 पीपीएम से पांच गुना घटकर 10 पीपीएम रह जाएगी। कुछ कंपनियों ने अभी से अपने बीएस-6 वाहन लॉन्च भी कर दिए हैं। बीएस 6 दोपहिया और चार पहिया वाहनों में इंजन की दक्षता बढ़ाने के साथ ही खास फिल्टर्स का भी इस्तेमाल किया जाएगा जो प्रदूषण को कम करेंगे।
ग्वालियर, सड़कों पर लगातार वाहनों की संख्या बढ़ रही है और इसके साथ ही प्रदूषण भी। शहर में एयर पॉल्युशन खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है और लोगों को सांस लेने तक में परेशानी हो रही है। एयर पॉल्युशन के लिए कचरा जलाने के बाद सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुंआ है। मगर, 31 मार्च 2020 से बीएस 6 वाहन आने वाले हैं और इसके बाद एयर पॉल्युशन में राहत मिलने के आसार नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है यदि शहर में सिर्फ बीएस 6 वाहन हों तो एयल पॉल्युशन 13 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। खास बात यह है भारत स्टेंडर्ड-6 (बीएस) आने के बाद 1 अप्रैल 2020 से बीएस-4 वाहनों की बिक्री नहीं होगी।
सबसे खतरनाक है पीएम 2.5, बीएस 6 में 75 फीसदी तक कम
बीएस 4 के मुकाबले बीएस 6 में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ काफी कम होंगे। कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसीं घातक गैसें इंटरनल कंबशन इंजन से पैदा होती हैं। इसके अलावा डीजल और डायरेक्ट इंजेक्शन पेट्रोल इंजन से पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) पैदा होते हैं। एयर क्वालिटी इंडेक्स में पीएम 10 और पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) अहम होते हैं। पीएम 2.5 का आकार 2.5 माइक्रोन होता है और यह हमारे बाल से भी 30 गुना पतला होता है। लेकिन बीएस 6 वाहनों बीएस 3 व 4 के मुकाबले पीएम 2.5 की मात्रा 0.05 से घटकर 0.01 रह जाएगी। यानि इससे पीएम 2.5 का उत्सर्जन 75 प्रतिशत तक कम होगा। पीएम 2.5 प्रदूषित हवा के साथ हमारे शरीर में जाता है और यह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
इस तरह कम होगा प्रदूषण
जीवाजी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ स्टडीज इन एन्वार्यमेंटल साइंसेस की गेस्ट फैकल्टी डॉ. बनवारी दंडोतिया ने शहर में होने वाले एयर पॉल्युशन पर पीएचडी रिसर्च किया है। उन्होंने एयर पॉल्युशन के कारणों से लेकर लोगों की सेहत पर उसके प्रभाव तक का अध्ययन किया गया। शोध के अनुसार शहर में एयर पॉल्युशन के लिए ट्रांसपोर्ट 32 प्रतिशत जिम्मेदार है। यदि वाहनों से 32 प्रतिशत पॉल्युशन होता है और बीएस 6 आने के बाद पॉल्युशन 75 प्रतिशत कम होता है तो कुल पॉल्युशन 13 प्रतिशत तक कम होगा। शहर में 90 प्रतिशत से अधिक लोग एयर पॉल्युशन के बारे में जानते हैं।
यह है शहर में एयर पॉल्युशन के जिम्मेदार
कचरा जलाना- 33%
ट्रांसपोर्ट- 32%
इंडस्ट्रीज- 20%
डेवलपमेंट- 9%
एग्रीकल्चर- 7%
10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ेंगी कीमतें
बीएस-4 में पेट्रोल और डीजल इंजनों के लिए अलग-अलग मानक थे। बीएस-6 में इस अंतर को बहुत कम कर दिया गया है। बीएस-6 वाहनों में नया इंजन व इलेक्ट्रिकल वायरिंग बदलने से वाहनों की कीमत में 15 फीसदी का इजाफा हो सकता है। बीएस-6 से वाहनों की इंजन की क्षमता बढ़ेगी। इससे उत्सर्जन कम होगा। वहीं बीएस-6 पेट्रोल-डीजल 1.5 से दो रुपये प्रति लीटर मंहगा होगा। बीएस-6 वाहनों का माइलेज भी 10 से 15 प्रतिशत ज्यादा होगा।
सांसो में घुलते जहर से यूं बिगड़ रही सेहत
शहर में बढ़ रहे एयर पॉल्युशन के कारण लोगों को आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं के साथ फेफड़ों में समस्या जैसी गंभीर बीमारियां हो रही हैं। शोध के अनुसार एयर पॉल्युशन के कारण लोगों को सबसे ज्यादा सिर दर्द और आंखों में जलन की समस्या आ रही है। 11 प्रतिशत लोगों ने इस परेशानी से प्रभावित होने की बात स्वीकारी है। वहीं 3.7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पॉल्युशन के कारण उन्हें फेफड़ों में समस्या हो रही है और 6.2 प्रतिशत लोगों ने सांस लेने में तकलीफ बताई। इसके साथ ही पॉल्युशन के कारण त्वचा में जलन, रफ स्किन, अनिद्रा, बीपी, दृश्यता की कमी, नाक में जलन, गले में समस्या जैसी बीमारियां होना कबूला।
एकदम नहीं दिखेगा असर
यह बात सही है कि बीएस-6 वाहनों से प्रदूषण कम होगा, लेकिन इसका असर तात्कालिक रूप से नहीं दिखेगा। यहां तक कि एक या दो साल में भी कोई बड़ा परिवर्तन नहीं देखेंगे, लेकिन समय के साथ इसके नतीजे दिखने शुरू होंगे। बीएस-6 वाहन आने के बाद भी पुराने वाहन सड़कों पर रहेंगे और वे तो पॉल्युशन करेंगे ही। लेकिन, यह अच्छा कदम है प्रदूषण को कम करने की दिशा में। - डॉ. हरेंद्र कुमार शर्मा, एचओडी, स्कूल ऑफ स्टडीज इन एन्वार्यमेंटल साइंसेस, जेयू
1 अप्रैल से मिलेगा सिर्फ बीएस-6 फ्यूल
1 अप्रैल 2020 से बीएस-6 का फ्यूल ही मिलेगा। मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में यह मिलना भी शुरू हो गया है, लेकिन अभी मध्यप्रदेश में नहीं मिल रहा है। 1 अप्रैल के बाद से बीएस-6 का फ्यूल ही मिलेगा। यह पुरानी गाड़ियों में भी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उससे प्रदूषण कम नहीं होगा। बीएस-6 वाहनों में इंजन की दक्षता बढ़ाई है और बीएस-6 फ्यूल में सल्फर कंटेंट न के बराबर होता है, जिससे नए वाहन प्रदूषण नहीं करेंगे। प्रदेश में 1 अप्रैल से इसकी सप्लाई शुरू हो जाएगी। इसके लिए रिफाइनरी भी अपग्रेड हो चुकी हैं। अभी इसकी प्राइसिंग हमारे पास नहीं आई है। -सौरभ जैन, टेरेट्ररी मैनेजर, बीपीसीएल
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