जिद्दी रिपोर्टर अपडेट..... •सिंधिया समर्थकों के भाजपा ज्वाईन करने से स्थानीय स्तर पर भाजपा नेताओं को हो परेशानी प्रदेश में ज्योतिरा...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट.....
•सिंधिया समर्थकों के भाजपा ज्वाईन करने से स्थानीय स्तर पर भाजपा नेताओं को हो परेशानी
प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 बागी विधायकों की बीजेपी में एंट्री के बाद पिछले चुनाव में कमल के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सता रही है, क्योंकि अब उस जगह से सिंधिया समर्थकों को भाजपा टिकिट देने जा रही हैं। भाजपा नेताओं को अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सताने लगी है। इस कारण बीजेपी के अंदर बगावती सुर उठने लगे हैं। इसकी शुरुआत पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने अपने अंदर की भड़ास निकाल दी है और इसके संकेत भी दे दिए हैं। इसकी शुरुआत देवास जिले की हटपिपल्या विधानसभा सीट से विधायक रहे चुके बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री दीपक जोशी के राजनीतिक सुर उपचुनाव से पहले बदल गए हैं। दीपक जोशी ने कहा कि वो तीन बार के विधायक हैं और 57 साल की उम्र में अगर पार्टी उनके साथ नाइंसाफी करती है तो वह दूसरे विकल्प पर विचार कर सकते हैं।
दीपक जोशी ने ठोकी ताल
जोशी ने कहा कि मैं तीन बार का विधायक हूं और मेरे पिता की मध्य प्रदेश में अपनी राजनीतिक हैसियत रही है। विधानसभा क्षेत्र के लोगों की अपेक्षाएं हमसे जुड़ी हुई हैं और उनकी राजनीतिक भावनाओं के लिए हम मैदान तो नहीं छोड़ देंगे। दीपक जोशी ने कहा कि अगर कोई खिलाड़ी है तो वो मैच खेलेगा, नेशनल नहीं तो रणजी तो खेलेगा ही। अगर एक टीम से नहीं खेलेगा तो दूसरी टीम से खेलेगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई आया है तो ग्राउंड पर उतरे देखे कि किसमें कितना दम है।
दीपक जोशी ने कहा कि मैं पार्टी के साथ हूं। उपचुनाव के लिए पार्टी ने किसी का नाम तय नहीं किया है, लेकिन चर्चाएं हो रही हैं। ऐसे में अगर पार्टी हमारे लिए नहीं सोचती है तो फिर हमारे लिए सारे विकल्प खुले हैं और वक्त आने पर इस पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर राजनीति का यही रूप है तो इसका प्रयोग मैं भी करूंगा, क्योंकि मैं भी मनुष्य हूं।
बीजेपी से तीन बार के विधायक रहे दीपक जोशी दीपक जोशी 2013 में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार में स्कूल, उच्च शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट मंत्री भी थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मनोज चौधरी ने बीजेपी के दीपक जोशी को मात दे दी थी, लेकिन पिछले दिनों चौधरी ने सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। ऐसे में हाटपिपल्या सीट का समीकरण बदल गया है और बीजेपी के मनोज चौधरी को टिकट मिलना कन्फर्म है।
पूर्व विधायक दीपक जोशी देवास जिले में पार्टी के बड़े नेता हैं। हाटपिपल्या सीट से बीजेपी कश्मकश में पड़ गई है और अगर मनोज चौधरी को टिकट देती है तो दीपक जोशी बगावत का झंडा बुलंद कर सकते हैं। ऐसे संकेत दीपक जोशी की ओर से दिये जा रहे हैं। ऐसे में पार्टी के सामने दीपक जोशी सरीखे नेता के साथ समन्वय बैठाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।
सिंधिया समर्थको को भाजपा नेताओं का साथ मिलेगा या अंदरूनी विरोध
उपचुनाव में प्रदेश की 22 विधानसभाओ में भाजपा नेताओं की जमीन खिसकती नजर आ रही औऱ उनकी जगह पर भाजपा सिंधिया समर्थकों को चुनाव मैदान में उतार रही हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि वर्षों से क्षेत्र में मेहनत कर रहे भाजपा नेताओ की अपनी मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है औऱ सिंधिया समर्थकों पूर्व में इन भाजपा नेताओं के विरोधी रहे हैं और एकदूसरे के खिलाफ चुनाव भी लड़े औऱ मनमुटाव भी रहा है तो क्या अब विरोधियों को अपना समर्थन कौन से मुँह से देंगे। भाजपा के नेता स्थानीय स्तर पर उपचुनाव के दौरान सिंधिया समर्थकों के लिए वोट मांगेंगे या अंदरूनी विरोध प्रकट कर प्रदेश की भाजपा सरकार को खतरे में डालेंगे।
असन्तुष्ट भाजपा नेताओं के लिए कांग्रेस ने खोले अपने द्वार
प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा के असन्तुष्ट नेताओं के लिए अपने द्वार खोल दिए हैं। भाजपा के असंतुष्ट नेताओं को कांग्रेस में शामिल करने के लिए खुला आमंत्रण दिया गया है और उपचुनाव जीतकर कांग्रेस प्रदेश में सरकार बनाने की भरपूर कोशिश कर रही हैं।
*प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने बनाये नए समीकरण*
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने विगत दिनों संगठन में फेरबदल कर कुछ जिलों में 24 नए युवा भाजपा नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया गया है और बगावत को रोकने के लिए समीकरण बनाये गये हैं।
•सिंधिया समर्थकों के भाजपा ज्वाईन करने से स्थानीय स्तर पर भाजपा नेताओं को हो परेशानी
प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 बागी विधायकों की बीजेपी में एंट्री के बाद पिछले चुनाव में कमल के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सता रही है, क्योंकि अब उस जगह से सिंधिया समर्थकों को भाजपा टिकिट देने जा रही हैं। भाजपा नेताओं को अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सताने लगी है। इस कारण बीजेपी के अंदर बगावती सुर उठने लगे हैं। इसकी शुरुआत पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने अपने अंदर की भड़ास निकाल दी है और इसके संकेत भी दे दिए हैं। इसकी शुरुआत देवास जिले की हटपिपल्या विधानसभा सीट से विधायक रहे चुके बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री दीपक जोशी के राजनीतिक सुर उपचुनाव से पहले बदल गए हैं। दीपक जोशी ने कहा कि वो तीन बार के विधायक हैं और 57 साल की उम्र में अगर पार्टी उनके साथ नाइंसाफी करती है तो वह दूसरे विकल्प पर विचार कर सकते हैं।
दीपक जोशी ने ठोकी ताल
जोशी ने कहा कि मैं तीन बार का विधायक हूं और मेरे पिता की मध्य प्रदेश में अपनी राजनीतिक हैसियत रही है। विधानसभा क्षेत्र के लोगों की अपेक्षाएं हमसे जुड़ी हुई हैं और उनकी राजनीतिक भावनाओं के लिए हम मैदान तो नहीं छोड़ देंगे। दीपक जोशी ने कहा कि अगर कोई खिलाड़ी है तो वो मैच खेलेगा, नेशनल नहीं तो रणजी तो खेलेगा ही। अगर एक टीम से नहीं खेलेगा तो दूसरी टीम से खेलेगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई आया है तो ग्राउंड पर उतरे देखे कि किसमें कितना दम है।
दीपक जोशी ने कहा कि मैं पार्टी के साथ हूं। उपचुनाव के लिए पार्टी ने किसी का नाम तय नहीं किया है, लेकिन चर्चाएं हो रही हैं। ऐसे में अगर पार्टी हमारे लिए नहीं सोचती है तो फिर हमारे लिए सारे विकल्प खुले हैं और वक्त आने पर इस पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर राजनीति का यही रूप है तो इसका प्रयोग मैं भी करूंगा, क्योंकि मैं भी मनुष्य हूं।
बीजेपी से तीन बार के विधायक रहे दीपक जोशी दीपक जोशी 2013 में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार में स्कूल, उच्च शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट मंत्री भी थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मनोज चौधरी ने बीजेपी के दीपक जोशी को मात दे दी थी, लेकिन पिछले दिनों चौधरी ने सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। ऐसे में हाटपिपल्या सीट का समीकरण बदल गया है और बीजेपी के मनोज चौधरी को टिकट मिलना कन्फर्म है।
पूर्व विधायक दीपक जोशी देवास जिले में पार्टी के बड़े नेता हैं। हाटपिपल्या सीट से बीजेपी कश्मकश में पड़ गई है और अगर मनोज चौधरी को टिकट देती है तो दीपक जोशी बगावत का झंडा बुलंद कर सकते हैं। ऐसे संकेत दीपक जोशी की ओर से दिये जा रहे हैं। ऐसे में पार्टी के सामने दीपक जोशी सरीखे नेता के साथ समन्वय बैठाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।
सिंधिया समर्थको को भाजपा नेताओं का साथ मिलेगा या अंदरूनी विरोध
उपचुनाव में प्रदेश की 22 विधानसभाओ में भाजपा नेताओं की जमीन खिसकती नजर आ रही औऱ उनकी जगह पर भाजपा सिंधिया समर्थकों को चुनाव मैदान में उतार रही हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि वर्षों से क्षेत्र में मेहनत कर रहे भाजपा नेताओ की अपनी मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है औऱ सिंधिया समर्थकों पूर्व में इन भाजपा नेताओं के विरोधी रहे हैं और एकदूसरे के खिलाफ चुनाव भी लड़े औऱ मनमुटाव भी रहा है तो क्या अब विरोधियों को अपना समर्थन कौन से मुँह से देंगे। भाजपा के नेता स्थानीय स्तर पर उपचुनाव के दौरान सिंधिया समर्थकों के लिए वोट मांगेंगे या अंदरूनी विरोध प्रकट कर प्रदेश की भाजपा सरकार को खतरे में डालेंगे।
असन्तुष्ट भाजपा नेताओं के लिए कांग्रेस ने खोले अपने द्वार
प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा के असन्तुष्ट नेताओं के लिए अपने द्वार खोल दिए हैं। भाजपा के असंतुष्ट नेताओं को कांग्रेस में शामिल करने के लिए खुला आमंत्रण दिया गया है और उपचुनाव जीतकर कांग्रेस प्रदेश में सरकार बनाने की भरपूर कोशिश कर रही हैं।
*प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने बनाये नए समीकरण*
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने विगत दिनों संगठन में फेरबदल कर कुछ जिलों में 24 नए युवा भाजपा नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया गया है और बगावत को रोकने के लिए समीकरण बनाये गये हैं।

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