जिद्दी रिपोर्टर अपडेट..... आबकारी आयुक्त ने कर्मचारियों की व्यवस्था करने के दिए निर्देश, दुकानों पर तैनात करने के लिए होमगार्ड जवानों के ...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट.....
आबकारी आयुक्त ने कर्मचारियों की व्यवस्था करने के दिए निर्देश, दुकानों पर तैनात करने के लिए होमगार्ड जवानों के नाम की सूची मांगी
आबकारी आयुक्त ने कर्मचारियों की व्यवस्था करने के दिए निर्देश, दुकानों पर तैनात करने के लिए होमगार्ड जवानों के नाम की सूची मांगी
भोपाल। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 3 दिन में शराब की दुकान (liquor shop) खोलने को लेकर शपथ पत्र के आदेश के बाद शनिवार को सभी शराब ठेकेदारों ने इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर समेत 22 जिलों की 2200 से ज्यादा शराब दुकानें सरेंडर कर दी हैं। वहीं प्रदेश सरकार ने भी शराब ठेकेदारों के सामने झुकने से मना कर दिया है। अब आबकारी विभाग खुद शराब की दुकान चलाएगा, जिसको लेकर आदेश जारी कर दिए गए हैं।
लॉकडाउन अवधि में शराब की दुकानें बंद रहने के चलते होने वाले नुकसान की भरपाई को शराब ठेकेदारों ने सरकार से राजस्व में 25 फीसद की छूट मांगी थी। जब सरकार ने ठेकेदारों को मांग नहीं मानी तो ठेकेदारों ने दुकानें बंद करने की चेतावनी दी थी। मामला को लेकर शराब ठेकेदार मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ जबलपुर पहुंचे, जहां उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए कहा है कि जो भी शराब ठेकेदार सरकार की वर्तमान शर्तो पर दुकान संचालित करना चाहते हैं, वो 3 दिन में शपथ पत्र कोर्ट में पेश कर दें। जो शराब ठेकेदार 3 दिन में शपथ पत्र पेश नहीं करेगा उस परिस्थिति में उस दुकान का टेंडर निरस्त माना जाएगा।
न्यायालय से राहत नहीं मिलने के बाद प्रदेश के शराब ठेकेदारों ने 22 जिलों की 2200 से ज्यादा दुकानें छोड़ दी हैं। वहीं, मध्य प्रदेश आबकारी विभाग ने खुद शराब की दुकानें चलाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस बाबत आबकारी विभाग के आयुक्त राजीब चंद्र दुबे ने अधीनस्थ अधिकारियों को दुकानें संचालित करने के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था करने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही विभागीय नियंत्रण के अधीन शराब की दुकान संचालन को लेकर आवश्य निर्देश पत्र भी जारी किया है।
आयुक्त का आदेश आने के बाद आबकारी विभाग कर्मचारियों की व्यवस्था करने में जुट गया है। दुकानों पर विभाग के सिपाही और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा। इसके आलावा होमगार्ड के सिपाहियों के नाम की सूची भी मांगी गई है, जिनको शराब की दुकानों पर तैनात किया जा सके।
मध्य प्रदेश लिकर एसोसिएशन का दावा है कि इससे राज्य सरकार को 70 फीसद (लगभग 7200 करोड़ रुपये) का नुकसान होगा। मामला जबलपुर उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, जिसमें 17 जून को फिर से सुनवाई होना है। वहीं, बैतूल, सीहोर, विदिशा, रायसेन, आगर, राजगढ़, शाजापुर, टीकमगढ़ और पन्ना के ठेकेदार नई नीति के तहत दुकानें खोलने को तैयार हैं।
मप्र लिकर एसोसिएशन का दावा है कि सरकार दुकानें संचालित करने के दूसरे किसी विकल्प पर जाती है तो नुकसान तय है। एसोसिएशन के प्रवक्ता राहुल जायसवाल कहते हैं कि सरकार फिर से टेंडर निकालकर दुकानें नीलाम करती है या लॉटरी पद्धति से देती है, तो 50 फीसद (करीब 3500 करोड़ रुपये) राजस्व का नुकसान होगा। वाणिज्यिक कर विभाग ने भी 25 फीसद से ज्यादा का अनुमान लगाया है।
इन जिलों के ठेकेदारों ने सरेंडर की दुकानें
इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, डिंडौरी, सिंगरौली, रीवा, सतना, सागर, टीकमगढ़, बैतूल, शिवपुरी, बुरहानपुर, भिंड, मुरैना, उज्जैन, देवास, मंदसौर, खंडवा सहित अन्य। वहीं छतरपुर, नरसिंहपुर, सिवनी, अनूपपुर, मंडला और होशंगाबाद जिलों में संचालित आधी दुकानों को ठेकेदारों ने सरेंडर करने के शपथ पत्र दे दिए हैं।
इनका कहना है -
दुकानें सरेंडर करने का प्रावधान ही नहीं है। वैसे भी जो होगा वह हाई कोर्ट के निर्देश से ही होगा। इसलिए आठ जून के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। - राजीव चंद्र दुबे, आयुक्त, आबकारी
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