जिद्दी रिपोर्टर अपडेट.... •कांग्रेस सरकार में नेताओं और अधिकारियों को पटाकर बंद करवाई थी शिकायतें रीवा। कांग्रेस सरकार में प्रभारी डी...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट....
•कांग्रेस सरकार में नेताओं और अधिकारियों को पटाकर बंद करवाई थी शिकायतें
रीवा। कांग्रेस सरकार में प्रभारी डीपीसी रहे सुधीर कुमार बांडा के कार्याकाल में जन शिक्षा केंद्रों में अनाधिकृत तरीकों से जनशिक्षक की भर्ती की कई साथ ही बीआरसी कार्यालयो में फर्जी तरीकों बीएसी भरे। इतना ही नही स्वयं डीपीसी कार्यालय में प्रतिनियुक्ति समाप्त होने पर एपीसी को रिनुअल करवा दिया। निपानिया स्कूल मे विगत सत्र के अतिथि शिक्षक घोटाले की फाइल अभी भी कमिश्नर के यहाँ लंबित पडी है। इतना ही नहीं प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी के पद पर पदस्थ रहते समय सुधीर कुमार बांदा ने झाँझ, मँजीरा और हारमोनियम घोटाला डेढ़ करोड रुपए का किया था जिसकी जांच आयुक्त लोक शिक्षण भोपाल में चल रही थी यह जांच भी काग्रेस सरकार का भरपूर फायदा लेते हुए फाइल को दवबा दिया और जांच अभी लंबित है। अब तक जितनी भी शिकायतें की गई है वह सभी शिकायतें किसी ना किसी बहाने से लंबित पड़ी हुई हैं। आखिर क्या कारण है कि जांच करने वाले अधिकारी फाइलों को दबा कर बैठ जाते हैं। जांच में कई वर्ष बीत जाते हैं लेकिन कोई निराकरण सामने नहीं आता है। जिस का भरपूर लाभ उठाया जाता है। राजनेता भी इन भ्रष्टाचार का भरपूर समर्थन करते हैं। जिसके कारण ना तो कभी कोई जांच पूरी हो पाती है ना ही दोषियों पर कार्यवाही। यहां अधिकारी मजे मारते रहते हैं और नेताओं की चढ़ उतरी चढ़ाते रहते हैं। *बता दें कि हाल ही में जब प्रदेश में जब भाजपा सरकार बनी तब जिले के एक विधायक के पीए ने बीआरसीसी बनाने के नाम पर ₹50 हजार तक ले लिया हालांकि संबंधित व्यक्ति ना तो बीआरसीसी बन सका और उसके ₹50 हजार रुपये भी चले गए।*
•कांग्रेस सरकार में नेताओं और अधिकारियों को पटाकर बंद करवाई थी शिकायतें
रीवा। कांग्रेस सरकार में प्रभारी डीपीसी रहे सुधीर कुमार बांडा के कार्याकाल में जन शिक्षा केंद्रों में अनाधिकृत तरीकों से जनशिक्षक की भर्ती की कई साथ ही बीआरसी कार्यालयो में फर्जी तरीकों बीएसी भरे। इतना ही नही स्वयं डीपीसी कार्यालय में प्रतिनियुक्ति समाप्त होने पर एपीसी को रिनुअल करवा दिया। निपानिया स्कूल मे विगत सत्र के अतिथि शिक्षक घोटाले की फाइल अभी भी कमिश्नर के यहाँ लंबित पडी है। इतना ही नहीं प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी के पद पर पदस्थ रहते समय सुधीर कुमार बांदा ने झाँझ, मँजीरा और हारमोनियम घोटाला डेढ़ करोड रुपए का किया था जिसकी जांच आयुक्त लोक शिक्षण भोपाल में चल रही थी यह जांच भी काग्रेस सरकार का भरपूर फायदा लेते हुए फाइल को दवबा दिया और जांच अभी लंबित है। अब तक जितनी भी शिकायतें की गई है वह सभी शिकायतें किसी ना किसी बहाने से लंबित पड़ी हुई हैं। आखिर क्या कारण है कि जांच करने वाले अधिकारी फाइलों को दबा कर बैठ जाते हैं। जांच में कई वर्ष बीत जाते हैं लेकिन कोई निराकरण सामने नहीं आता है। जिस का भरपूर लाभ उठाया जाता है। राजनेता भी इन भ्रष्टाचार का भरपूर समर्थन करते हैं। जिसके कारण ना तो कभी कोई जांच पूरी हो पाती है ना ही दोषियों पर कार्यवाही। यहां अधिकारी मजे मारते रहते हैं और नेताओं की चढ़ उतरी चढ़ाते रहते हैं। *बता दें कि हाल ही में जब प्रदेश में जब भाजपा सरकार बनी तब जिले के एक विधायक के पीए ने बीआरसीसी बनाने के नाम पर ₹50 हजार तक ले लिया हालांकि संबंधित व्यक्ति ना तो बीआरसीसी बन सका और उसके ₹50 हजार रुपये भी चले गए।*
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