जिद्दी रिपोर्टर अपडेट..... •शासन को हो रहा प्रतिमाह लाखों रु के राजस्व का घाटा जीतेन्द्र गोस्वामी बदरवास बदरवास। जब जिम्मेदार अधिका...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट.....
•शासन को हो रहा प्रतिमाह लाखों रु के राजस्व का घाटा
जीतेन्द्र गोस्वामी बदरवास
बदरवास। जब जिम्मेदार अधिकारी ही भ्रष्टाचार में लिप्त हो उस क्षेत्र में अबैध गतिविधियों का होना आम बात है हम बात कर रहे बदरवास क्षेत्र में अबैध उत्खनन करने बाले माफियाओं की जो शासकीय निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं जिम्मेदार अधिकारों के यहाँ हर महीनें माफिया अबैध कमाई का टैक्स भरकर तीस दिनो तक खुलेआम अबैध उत्खनन करता,रोक लगाने बाला अधिकारी ही जब भ्रष्टाचार में लिप्त होकर माफियाओं के साथ आये दिन पार्टी करता हो वहां की शासकीय भूमि अबैध उत्खनन से कैसे मुक्त हो सकती।
अब हम बात करते हैं 15 साल पहले की जब सोमा कंपनी ने लीज की भूमि में क्रेशर लगाकर काला पत्थर निकालने सिलसिला शुरू किया था पाँच बर्ष तक पत्थर निकाला फिर क्रेशर उखाड़ कर ले गई इसके बाद शुरू हुआ पूर्व विधायक का खेल,लीज का दिखाबा कर शासकीय भूमि खोदना शुरू कर दी,नेताजी को कमाई करते देख जिले से नेता,ठेकेदार,अध्यक्ष और पूर्व में रहे पत्रकार ने बामौर की शासकीय भूमि 90 प्रतिशत तक खोद चुके हैं अब इस गाँव की शासकीय भूमि पर खदाने बन चुकी हैं जिसमें आये दिन जानवरों की गिरने से मौत हो रही हैं।
बारई की शासकीय,धुबाई की आदिवासियों की भूमि पर चल रहा अबैध उत्खनन
वर्तमान में वर्षा को आता देख अवैध उत्खनन कर्ता पत्थर निकालने के लिए दिन रात शासकीय भूमि खोद रहे हैं आदिवासियों की पट्टे या कब्जे वाली जमीन को लालच देकर खरीद फरोख्त कर रहे हैं कुछ क्षेत्रीय दलालो के मध्यम से दलित और आदिवासियों की कब्जे बाली भूमि को शासकीय होने का डर दिखाकर एवं एक लाख से दो लाख रु दाम देकर खोदना शुरू कर देते हैं फिर चाहे कोई ग्रामीण अबैध उत्खनन की शिकायत करते रहे माफियाओं से साँठ-गाँठ होने से अधिकारी मौके पर नही जाते हैं जिसके चलते माफियाओं के हौसले बुलंद है।
•शासन को हो रहा प्रतिमाह लाखों रु के राजस्व का घाटा
जीतेन्द्र गोस्वामी बदरवास
बदरवास। जब जिम्मेदार अधिकारी ही भ्रष्टाचार में लिप्त हो उस क्षेत्र में अबैध गतिविधियों का होना आम बात है हम बात कर रहे बदरवास क्षेत्र में अबैध उत्खनन करने बाले माफियाओं की जो शासकीय निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं जिम्मेदार अधिकारों के यहाँ हर महीनें माफिया अबैध कमाई का टैक्स भरकर तीस दिनो तक खुलेआम अबैध उत्खनन करता,रोक लगाने बाला अधिकारी ही जब भ्रष्टाचार में लिप्त होकर माफियाओं के साथ आये दिन पार्टी करता हो वहां की शासकीय भूमि अबैध उत्खनन से कैसे मुक्त हो सकती।
अब हम बात करते हैं 15 साल पहले की जब सोमा कंपनी ने लीज की भूमि में क्रेशर लगाकर काला पत्थर निकालने सिलसिला शुरू किया था पाँच बर्ष तक पत्थर निकाला फिर क्रेशर उखाड़ कर ले गई इसके बाद शुरू हुआ पूर्व विधायक का खेल,लीज का दिखाबा कर शासकीय भूमि खोदना शुरू कर दी,नेताजी को कमाई करते देख जिले से नेता,ठेकेदार,अध्यक्ष और पूर्व में रहे पत्रकार ने बामौर की शासकीय भूमि 90 प्रतिशत तक खोद चुके हैं अब इस गाँव की शासकीय भूमि पर खदाने बन चुकी हैं जिसमें आये दिन जानवरों की गिरने से मौत हो रही हैं।
बारई की शासकीय,धुबाई की आदिवासियों की भूमि पर चल रहा अबैध उत्खनन
वर्तमान में वर्षा को आता देख अवैध उत्खनन कर्ता पत्थर निकालने के लिए दिन रात शासकीय भूमि खोद रहे हैं आदिवासियों की पट्टे या कब्जे वाली जमीन को लालच देकर खरीद फरोख्त कर रहे हैं कुछ क्षेत्रीय दलालो के मध्यम से दलित और आदिवासियों की कब्जे बाली भूमि को शासकीय होने का डर दिखाकर एवं एक लाख से दो लाख रु दाम देकर खोदना शुरू कर देते हैं फिर चाहे कोई ग्रामीण अबैध उत्खनन की शिकायत करते रहे माफियाओं से साँठ-गाँठ होने से अधिकारी मौके पर नही जाते हैं जिसके चलते माफियाओं के हौसले बुलंद है।
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