जिद्दी रिपोर्टर अपडेट..... जोधपुर. डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग और रिसर्च सोसायटी ऑफ स्टडी इन डायबिटीज इन इंडिया राजस्...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट.....
जोधपुर. डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग और रिसर्च सोसायटी ऑफ स्टडी इन डायबिटीज इन इंडिया राजस्थान चैप्टर (राज आरएसएसडीआई) की ओर से शनिवार को मधुमेह पर शुरू हुई दो दिवसीय आयोजित कॉन्फ्रेंस में जयपुर के गैलेक्सी स्पेशियलिटी सेंटर के निदेशक डॉ. एसके शर्मा ने कहा कि 100 से 126 के बीच के शुगर लेवल वाले को प्री डायबिटीक है।
इस स्थिति में पहुंचने पर व्यक्ति खान-पान पर कंट्रोल और फिजिकल एक्टिविटी शुरू नहीं करता है तो उसकी उम्र 6 से 12 साल कम हो सकती है। डॉ. शर्मा ने बताया कि हमारे देश की पुरुषों की औसत उम्र 65 व महिलाओं में 70 वर्ष हैं, लेकिन डायबिटीज के साथ जीने वाले व्यक्ति की औसत उम्र 60 व 65 साल ही है। साथ में उसे कई दूसरी बीमारियां व कॉम्पलिकेशन हो जाते हैं।
डॉ. शर्मा ने बताया कि इन लोगों को वजन घटाने के साथ स्मोकिंग, बीपी, काेलेस्ट्रॉल व ओबेसिटी पर कंट्रोल करना जरूरी होगा। प्री-डायबिटिक व्यक्ति में बीमारी के लक्ष्ण भी नहीं दिखते हैं, लेकिन ऐसे 50 फीसदी लोग दस साल बाद मधुमेह के शिकार हो जाते हैं।
मधुमेह से हर साल एक लाख से ज्यादा लोग डायबिटीज व इससे होने वाले लोगाें को कॉम्पलिकेशन से मर जाते हैं। एक लाख के करीब ही लोगों के पैर कट जाते हैं। डायबिटीज के शिकार दस फीसदी लोगों की रोशनी भी चली जाती है। इस कॉन्फ्रेंस में देशभर के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट ने स्टेमसेल ट्रांसप्लांट व थैरेपी, डायबिटीज व इंफेक्शन, डायबिटीज मैनेजमेंट, थायरॉइड और डायबिटीज, डायबिटीज के उपचार में सर्जरी के बारे में चर्चा की। आयोजन अध्यक्ष डॉ. श्यामलाल माथुर, सचिव डॉ. आरके खींवसरा और कोषाध्यक्ष डॉ. हरीश अग्रवाल ने आभार व्यक्त किया।
डायबिटीज फुट वर्कशॉप में मधुमेह होने पर पैर में दिक्कत होती है, ऐसे में उस पैर का मैनेजमेंट करना बताया। साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉ. नवीन किशोरिया, वहीं एचओडी डॉ. मनोज लाखोटिया, डाॅ. आलोक गुप्ता, डॉ. अरविंद जैन, डॉ. आरके भीमवाल सहित कई डॉक्टर्स उपस्थित रहे।
महिला की कमर 80 व आदमी की 90 सेमी से ज्यादा तो डायबिटीज का खतरा ज्यादा: डॉ. भंसाली
पीजीआई चंडीगढ़ में एंडोक्राइनोलॉजी एचओडी डॉ. अनिल भंसाली ने बताया कि औरतों की कमर 80 सेमी व आदमियों की कमर का नाप 90 सेमी से कम रहना चाहिए। इससे ज्यादा पेट बढ़ा तो डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। आईसीएमआर की स्टडी में आया है कि हमारे देश में साढ़े छह करोड़ डायबिटीक हैं व इतने ही लोग प्री-डायबिटीक भी हैं। इस रिसर्च में तीन कारण सामने आए हैं जिनमें लाइफ स्टाइल सबसे पहले है क्योंकि 60 फीसदी लोग कोई एक्सरसाइज नहीं करते। दूसरा भारतीय लोगों में सेंट्रल ओबेसिटी है यानि पेट का मोटापा। यही सबसे घातक है। तीसरा कारण स्ट्रेस है। इस कारण यह बीमारी पहले 50 की उम्र के बाद होती थी, अब 40 पर होने लगी है।
घर में घी व तेल की खपत को करें आधा तो डायबिटीज से बनेगी दूरी: डॉ. खड़गावत
दिल्ली एम्स में एंडोक्राइनोलॉजी विभाग में प्रोफेसर डॉ. राजेश खड़गावत ने बताया कि पिज्जा-बर्गर जैसे फास्ट फूड ही नहीं, मिर्ची बड़ा, छोला-भटूरा और कचौरी भी मोटापा और डायबिटीज के लिए जिम्मेदार हैं। केवल अधिक मीठा खाने से ही डायबिटीज नहीं होती, बल्कि तली-भुनी चीजें भी डायबिटीज को बढ़ावा देती हैं। डायबिटीज में देसी घी, ऑलिव ऑयल और रिफाइंड का इस्तेमाल सुरक्षित बताने के दावे को भी भ्रम बताया।
उन्होंने कहा कि तले-भूने खाद्य पदार्थों में फैट की मात्रा कई गुना होती है। इससे शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है। ऐसे में जरूरी है कि हम घर पर तेल व घी की खपत घटाकर आधा कर दें। रोज सुबह-शाम आधा-आधा घंटा जरूर टहलें। लाइफ स्टाइल बदलेगी तो शुगर लेवल भी नियंत्रित रहेगा।
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