जिद्दी रिपोर्टर अपडेट... पिछौर में सट्टे का काला खेल आज से नहीं, बल्कि बरसों से चल रहा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में चोरी-छुपे चलने वाला यह...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट...
पिछौर में सट्टे का काला खेल आज से नहीं, बल्कि बरसों से चल रहा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में चोरी-छुपे चलने वाला यह खेल पिछौर में बेखोफ होकर काउंटर लगाकर खेला जा रहा है। इस काले कारोबार की जड़े शहर की हर गली से लेकर मोहल्ले तक फैल गई हैं। दिन का समय हो या अंधेरी रात, हर समय युवा अपनी मेहनत की कमाई 1 रुपए को 90 गुना करने में गंवा रहा है। ऐसा नहीं कि इन सटोरियों पर कार्रवाई करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है, बल्कि सांठगांठ के चक्कर में सभी मौन हैं। सट्टे का यह गौरखधंधा पिछले कुछ सालों में कस्बे के हर क्षेत्र में अपने पैर पसार चुका है। यह पूरा खेल एक चैन सिस्टम में चलता है, जिसमें कुछ बड़े सटोरिए अपने कुछ कर्मचारियों व एजेंटों के माध्यम से यह लाखों का खेल करवाते हैं। जहां लोग आराम से जाकर अपनी सट्टे की पर्ची कटवाते हैं। इस दो नंबर के खेल में एक नंबर से ज्यादा इमानदारी बताई जाती है और सट्टे की पर्ची एक चैक की तरह से काम करती है, जब भी किसी का नंबर आ जाता है तो संबंधित को केवल वह पर्ची दिखाना होती है। पर्ची दिखाते ही तुरंत हजारों का भुगतान हो जाता है। एक अनुमान के मुताबिक शहर में प्रतिदिन 5-10 लाख रुपए से अधिक का जुआ सट्टा खिलाया जाता है। इस लाखों की कमाई में से एक बड़ी राशि कार्रवाई करने वालों पर सांठगांठ कर खर्च की जाती है।
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