जिद्दी रिपोर्टर अपडेट..... •श्रीमदभागवतकथा के पाचवे दिवस श्रीकृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया •जो दूसरों के सुख का हरण करे वो कंश हैः पं. रमाक...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट.....
•श्रीमदभागवतकथा के पाचवे दिवस श्रीकृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया
•जो दूसरों के सुख का हरण करे वो कंश हैः पं. रमाकान्त ब्यास
शिवपुरी । शिवपुरी के खनियाधाना स्थित एतिहासिक स्थल सीतापाठा पर नगर परिषद के तत्वाधान में सम्पन्न कराये जा रहे महाशिवरात्री महोत्सव के दौरान चल रही श्रीमदभागवतकथा सप्ताह के दौरान आज 20 फरवरी को पांचवे दिवस की कथा के दौरान महाराज श्री ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के दृष्टांत सुनाते हुये श्रीकृष्ण जन्म की कथा श्रवण कराई। जिसके दौरान सीतापाठा कथा पाण्डाल में हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं की उपस्थिति में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। ज्ञानोपदेश देते हुये महाराजश्री ने समय की महत्वता बताते हुये कहा कि समय बहुत बलवान होता है, समय किसी को नहीं छोडता। उन्होंने खबर ना या जग में पल की रे। भजन सुनाकर दर्शकों को मनमुग्ध किया। नगर परिषद खनियाधाना सीएमओ विनय कुमार भटट सपत्नी के इस दौरान मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम के व्यवस्थापकों, स्थानीय कार्यकर्ताओं के अलावा कथा पारीक्षत एवं महाराजश्री के शिष्यगणों की उपस्थिति में श्रीकृष्ण भक्ति से ओतप्रोत कथा श्रवण कराते हुये भागवतभूषण पं रमाकान्त जी ब्यास ने बताया कि जो दूसरों के सुख का हरण करे वो कंश है। इसलिए हमें हमेशा सत्कर्म करते हुये दूसरों के सुख को छीनने का प्रयास नहीं करना चाहिये। उन्होंने मंत्र की महत्ता बताते हुये कहा कि जो मनन करने वाले का रक्षण करे वो मंत्र है। उन्होंने करमावाई की खीचडी की कथा श्रवण कराते हुये भगवान के भाव की प्रधानता केा कथा के दौरान श्रवण कराया। कर्मावाई और गुरूचरण की महिमा को भगवान की भावना से जोडते हुये कहा कि कर्मावाई भाव के साथ गुरूचरण रज मिलाकर खीचडी पकाती थी। जिसे भगवान वडे प्रेम से खाते थे। वे कर्मा वाई का नाम कर्मा क्यों पडा के बारे में बताते हुये बोले कि भगवान उनकी खीचडी खाने को इतने ललाईत रहते थे कि उनके मुख से मानों निकल रहा है कि जल्दी कर मां , जल्दी कर मां , इसलिए भक्त का नाम कर मां बाई पडा। कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाते हुये भगवान की बधाईयां सुमधुर भजनों के माध्यम से सम्पन्न हुईं जिन पर भक्तों ने आनंद लेते हुये जमकर नृत्य किया। महाराज श्री ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हुये खिलाने, टोफियां, मिठाइयों की बौछार कथा पाण्डाल में की। इस मौके पर कथा पारीक्षत एवं नगर परिषद सीएमओ विनय कुमार भटट ने सपत्नी के महाराजश्री को पगडी पहनाकर सम्मान करते हुये उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया और आनंद उत्सव मनाया।
गुरू मनुष्य नहीं एक तत्व है
सीतापाठा श्रीमदभागवत कथा पाण्डाल में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को ज्ञानोपदेश देते हुये भागवतभूषण पं रमाकान्त ब्यास ने गुरू की महत्वता को समझाया और कहा कि गुरू मनुष्य नहीं अपितु एक तत्व है। गुरू पद कभी कमजोर नहीं होता। रूठा हुआ परमात्मा गुरू की शरण में जाने से मनाया जा सकता है। महाराजश्री ने कहा कि गुरू का स्थान सर्वोपरि होता है। वहीं उन्होंने सदगुरू की व्याख्या करते हुये कहा कि सदगुरू वो है जो वाणी से कम और आचरण से ज्यादा उपदेश करे। जिसकी चर्चा से लोग शिक्षा ग्रहण करें वो सदगुरू है।
पीले परिधान में दिखे श्रद्धालु
कथा पाण्डाल में जहां एक ओर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव आज की कथा के दौरान बडे धूमधाम से मनाया गया। ब्यासपीठ से अमृतवाणी वरसाते हुये भागवतभूषण पं. रमाकान्त ब्यास ने श्रद्धालुओं को आनंदित किया वहीं पूरी श्रद्धा के साथ बडी संख्या में कथा श्रवण करने और भगवान का जन्मउत्सव मनाने आये श्रद्धालु महिलायें व पुरूष अधिकांशतः पीले वस्त्रों में नजर आये। जिससे कथा पाण्डाल में भगवान के प्रिय पीतांबर की श्रद्धा उपस्थित श्रद्धालुओं के पीतांबरी वस्त्रों में दिखाई दी।
•श्रीमदभागवतकथा के पाचवे दिवस श्रीकृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया
•जो दूसरों के सुख का हरण करे वो कंश हैः पं. रमाकान्त ब्यास
शिवपुरी । शिवपुरी के खनियाधाना स्थित एतिहासिक स्थल सीतापाठा पर नगर परिषद के तत्वाधान में सम्पन्न कराये जा रहे महाशिवरात्री महोत्सव के दौरान चल रही श्रीमदभागवतकथा सप्ताह के दौरान आज 20 फरवरी को पांचवे दिवस की कथा के दौरान महाराज श्री ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के दृष्टांत सुनाते हुये श्रीकृष्ण जन्म की कथा श्रवण कराई। जिसके दौरान सीतापाठा कथा पाण्डाल में हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं की उपस्थिति में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। ज्ञानोपदेश देते हुये महाराजश्री ने समय की महत्वता बताते हुये कहा कि समय बहुत बलवान होता है, समय किसी को नहीं छोडता। उन्होंने खबर ना या जग में पल की रे। भजन सुनाकर दर्शकों को मनमुग्ध किया। नगर परिषद खनियाधाना सीएमओ विनय कुमार भटट सपत्नी के इस दौरान मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम के व्यवस्थापकों, स्थानीय कार्यकर्ताओं के अलावा कथा पारीक्षत एवं महाराजश्री के शिष्यगणों की उपस्थिति में श्रीकृष्ण भक्ति से ओतप्रोत कथा श्रवण कराते हुये भागवतभूषण पं रमाकान्त जी ब्यास ने बताया कि जो दूसरों के सुख का हरण करे वो कंश है। इसलिए हमें हमेशा सत्कर्म करते हुये दूसरों के सुख को छीनने का प्रयास नहीं करना चाहिये। उन्होंने मंत्र की महत्ता बताते हुये कहा कि जो मनन करने वाले का रक्षण करे वो मंत्र है। उन्होंने करमावाई की खीचडी की कथा श्रवण कराते हुये भगवान के भाव की प्रधानता केा कथा के दौरान श्रवण कराया। कर्मावाई और गुरूचरण की महिमा को भगवान की भावना से जोडते हुये कहा कि कर्मावाई भाव के साथ गुरूचरण रज मिलाकर खीचडी पकाती थी। जिसे भगवान वडे प्रेम से खाते थे। वे कर्मा वाई का नाम कर्मा क्यों पडा के बारे में बताते हुये बोले कि भगवान उनकी खीचडी खाने को इतने ललाईत रहते थे कि उनके मुख से मानों निकल रहा है कि जल्दी कर मां , जल्दी कर मां , इसलिए भक्त का नाम कर मां बाई पडा। कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाते हुये भगवान की बधाईयां सुमधुर भजनों के माध्यम से सम्पन्न हुईं जिन पर भक्तों ने आनंद लेते हुये जमकर नृत्य किया। महाराज श्री ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हुये खिलाने, टोफियां, मिठाइयों की बौछार कथा पाण्डाल में की। इस मौके पर कथा पारीक्षत एवं नगर परिषद सीएमओ विनय कुमार भटट ने सपत्नी के महाराजश्री को पगडी पहनाकर सम्मान करते हुये उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया और आनंद उत्सव मनाया।
गुरू मनुष्य नहीं एक तत्व है
सीतापाठा श्रीमदभागवत कथा पाण्डाल में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को ज्ञानोपदेश देते हुये भागवतभूषण पं रमाकान्त ब्यास ने गुरू की महत्वता को समझाया और कहा कि गुरू मनुष्य नहीं अपितु एक तत्व है। गुरू पद कभी कमजोर नहीं होता। रूठा हुआ परमात्मा गुरू की शरण में जाने से मनाया जा सकता है। महाराजश्री ने कहा कि गुरू का स्थान सर्वोपरि होता है। वहीं उन्होंने सदगुरू की व्याख्या करते हुये कहा कि सदगुरू वो है जो वाणी से कम और आचरण से ज्यादा उपदेश करे। जिसकी चर्चा से लोग शिक्षा ग्रहण करें वो सदगुरू है।
पीले परिधान में दिखे श्रद्धालु
कथा पाण्डाल में जहां एक ओर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव आज की कथा के दौरान बडे धूमधाम से मनाया गया। ब्यासपीठ से अमृतवाणी वरसाते हुये भागवतभूषण पं. रमाकान्त ब्यास ने श्रद्धालुओं को आनंदित किया वहीं पूरी श्रद्धा के साथ बडी संख्या में कथा श्रवण करने और भगवान का जन्मउत्सव मनाने आये श्रद्धालु महिलायें व पुरूष अधिकांशतः पीले वस्त्रों में नजर आये। जिससे कथा पाण्डाल में भगवान के प्रिय पीतांबर की श्रद्धा उपस्थित श्रद्धालुओं के पीतांबरी वस्त्रों में दिखाई दी।
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