जिद्दी रिपोर्टर अपडेट... हर तरफ शराब से हाहाकार लेकिन अधिकारी बने रहते है तमाशबीन। शराब कारोबारियों की तीन करोड़ रुपये रिश्वत का असर, अधिकार...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट...
हर तरफ शराब से हाहाकार लेकिन अधिकारी बने रहते है तमाशबीन।
शराब कारोबारियों की तीन करोड़ रुपये रिश्वत का असर, अधिकारी बेखबर, गांव वालों ने पकड़ी ५.१० लाख की शराब
*संजीब पुरोहित,सम्पादक।*
भोपाल। मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले के झाबुआ और अलीराजपुर के जानकारों की बात पर भरोसा करें तो प्रदेश के इन दो आदिवासी जिलों में अवैध शराब का कारोबार क्यों और किस बजह से फलफुल रहा है उसकी मुख्य बजह यहां के जानकार जो बताते हैं! वह इन जिलों के शराब कारोबारियों द्वारा तकरीबन प्रतिवर्ष ३०० करोड़ रुपये की रिश्वत जो अलीराजपुर झाबुआ के पुलिस प्रशासन, आबकारी और जिला प्रशासन से लेकर राजनेताओं तक और अलीराजपुर, झाबुआ ही नहीं बल्कि भोपाल तक जो रिश्वत बांटी जाती है, उसका एक नमूना है जो मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती के द्वारा चलाया जा रहा नशा विरोधी अभियान है? इस अभियान के डर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने जो इन दिनों नशा मुक्ति अभियान चलाया रखा है उसकी हकीकत झाबुआ जिले के राणापुर में देखने को मिली तभी तो इस जिले के पुलिस महकमे को भनक नहीं लग पाई कि झाबुआ के अंतर्गत आने वाले राणापुर में गुजरात के रास्ते समोई समन माता पर शराब के अवैध कारोबारियों द्वारा गुजरात बदस्तूत अवैध शराब कारोबार का सिलसिला जारी है और इसी सिलसिले के दौरान समोई समन माता पर एक वाहन को ग्रामीणों ने पकड़ा इसमें ५.१० लाख रुपये से अधिक की अवैध शराब जो गुजरात जा रही थी, उस अवैध शराब को ग्रामीणों द्वारा पकड़ी गई इस अवैध शराब के बाद इन जिलों में चल रहे अवैध शराब के कारोबार को लेकर पुलिस व प्रशासन द्वारा चलाई जा रही कार्रवाई पर भी सवाल उठने लग रहे हैं ? ग्रमीणों द्वारा पकडी गई अवैध शराब की घटना के बाद यह भी साफ हो जाता है कि इन जिलों ही नहीं बल्कि प्रदेशभर में जिला प्रशासन द्वारा अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ किस तरह से कार्रवाई की जारही है या उन्हें बदस्तूर वरदहस्त व संरक्षण प्रदान किया जा रहा है? तभी तो एक ओर जहां नशा मुक्ति अभियान प्रदेशभर में जोरों पर चल रहा है ! वहीं दूसरी ओर अवैध शराब के कारोबारियों का कारोबार भी धड़ल्ले से जारी हैं। सूत्रों की माने तो अलीराजपुर जिले के डोंगरा, सामूहिक टांटी होते हुए लगातार शराब गुजरात भेजी जा रही है ! मगर जिला प्रशासन इस अवैध कारोबार से अनजान बना हुआ है! इसकी बजह इन जिलों के जानकारों की बात पर विश्वास करें तो वह बताते है कि जहां प्रशासन इन दोनों जिलों के अवैध कारोबारियों के द्वारा तीन करोड़ की सालाना रिश्वत बांटे जाने के कारण अवैध शराब के कारोबार से बेखबर रहते हैं ? जानकर बताते कि यही बजह है कि अब इन जिलों के ग्रामीण इन अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ सक्रिय हो गये हैं तभी तो आदिवासी जिला झाबुआ में यह घटना घटित हुई! मगर अलीराजपुर जिसे इस प्रदेश का सबसे गरीब जिला माना जाता है वह अवैध शराब कारोबार के मामले में सबसे ज्यादा चर्चित है ! मजे की बात तो यह कि इसके बाद भी जिला प्रशासन इस सबसे बेखबर है! अवैध शराब की स्थिति जो है उसको लेकर जिला प्रशासन की मेहरबानी को लेकर आमजन में तरह तरह की चर्चाओं का दौर जारी है! मगर प्रशासन की ही मेहरबानी से अब तो अलीराजपुर जिले में रेत का अवैध कारोबार भी जमकर पनप रहा है तभी तो इस जिले के थानों के सामने से धड़ल्ले से अवैध रेत के उत्खनन करने वाले कारोबारियों के डम्पर धड़ल्ले से गुजरते नजर आते हैं जिन से इस जिलों के पुलिस अधिकारी बेखबर है, यदि भूल से ही सही यदि कोई मीडिया जिले के किसी थानेदार से रेत से भरे डंपर के बारे में जानकारी लेने की कोशिश करता है तो उसको क्या जबाब थाना प्रभारी द्वारा दिया जाता है,इसका जवाब तो भुगतभोगी मीडिया कर्मी ही दे सकता है! यही बजह है अलीराजपुर में अवैध शराब के कारोबार के पनपने की? मगर झाबुआ के राणापुर से डुंगरा, समोई, टांटी होते हुए लगातार शराब गुजरात भेजी जा रही है, हाल ही में पकड़ाए इस मामले में पुलिस में इसका जिक्र है अब लोगों ने वाहन जीजे-१६-एक्सएक्स-२८५ को रोककर अवैध शराब ग्रामीणों ने पकड़ी ना कि पुलिस ने और इसकी ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी, वाहन को पुलिस थाने ले गई लेकिन इस कार्यवाही को लेकर भी पुलिस पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं चर्चाओं में खबर यह है कि शराब ढो रहे वाहन के पीछे एक अन्य गाड़ी थी जिसके कांच काले थे उसे थाने लाया भी नहीं गया, मजे की बात तो यह है कि इसका जिक्र पुलिस द्वारा बनाये गये प्रकरण में नहीं किया गया! यही बजह है कि अवैध शराब के कारोबारियों का कारोबार इस जिले ही नहीं बल्कि अलीराजपुर, बडवानी,खरगौर और धार आदि जिलों में धड़ल्ले से जारी है और पुलिस प्रशासन ही नहीं बल्कि आबकारी विभाग भी इस ओर अनजान बना हुआ है, यह सब खेल इन जिलों के शराब कारोबारियों द्वारा जैसा कि सूत्र बताते हैं कि प्रतिवर्ष तीन करोड़ इन जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस और आबकारी के अधिकारियों को बांटी जाती है और यही नहीं यह रिश्वत की रकम भोपाल तक भी आती है? तो सवाल यह उठता है कि जब यह तीन करोड़ की रिश्वत अवैध शराब कारोबारियों द्वारा प्रतिवर्ष बांटी जाती है तो फिर अधिकारी तो क्या जिला प्रशासन के अधिकारी ही नहीं बल्कि आबकारी आयुक्त और मंत्री तक इस कारोबार के प्रति अनभिज्ञ ही रहेंगे ऐसा लोगों का कहना है? ग्रामीणों द्वारा पकड़ी गई शराब को पुलिसकर्मियों ने थाने में रखी १६० पेटी शराब पकड़ी गई इनकी कीमत लगभग ५.१०.७०० रुपये है, यह शराब जिस आरोपी से पकड़ी गई उसका नाम आरोपी विजय पिता रतीराम सोनी निवासी इंदौर का बताया गया है और वाहन का चालक फरार हो गया, जिसकी पुलिस अभी तक तलाश ही कर रही है? यह शराब कहां से लाई जा रही थी अगर वैध लायसेंसी दुकान से लाना साबित होता है तो क्या उस दुकान का लायसेंस रद्द होगा और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है? एक दिन पूर्व ही एक अन्य कार्यवाही नशा मुक्ति अभियान के तहत झाबुआ कलेक्टर रजनी सिंह, जिला आबकारी अधिकारी शादाब अहमद सिद्दीकी के निर्देश में शराब बरामद की गई थी , पर सबाल यह उठता है कि झाबुआ के साथ प्रदेश का सबसे गरीब जिला ,लेकिन शराब के अवैध कारोबार के लिए प्रदेश भर में चर्चित अलिराजपुर जहां से प्रतिदिन पौने दो करोड़ की शराब गुजरात जाने की खबरें सुर्खियों में रहती है उस अलीराजपुर के कलेक्टर द्वारा इसके खिलाफ मुहीम चलाने की क्यों आवश्यकता महसूस नही होती? इसको लेकर भी लोगों में तरह तरह की चर्चाएं का दौर जारी है? इस संबंध में जिले के सहायक थाना प्रभारी रानापुर कैलाश चौहान का कहना है कि आगे की कार्यवाही के लिये संबंधित विभाग है? प्रदेश में चल रहे नशा मुक्ति अभियान के दौरान झाबुआ जिले के रानापुर के ग्रामीणों द्वारा इस तरह के अवैध शराब के कारोबारियों से शराब पकडऩा यह साबित करता है कि प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती के द्वारा नशामुक्ति की मुहिम का परिणाम है कि अब लोग इस कारोबार के प्रति जागरुक हो रहे हैं, अभी तो केवल लोग ही जागृह हो रहे हैं यदि सुश्री उमा भारती के द्वारा यह आंदोलन बदस्तूर जारी रखा गया तो कुछ दिनों बाद प्रदेश की महिलाएं भी शराब कारोबारियों के खिलाफ लामबंद होती नजर आ सकती हैं और फिर वही स्थिति हो सकती है जो भोपाल के पूर्व महापौर आलोक शर्मा के चुनाव प्रचार के दौरान जब मुख्यमंत्री शिवराज व उनकी धर्मपत्नी राजधानी की झुग्गी बस्तियों में आलोक शर्मा का प्रचार करने गए थे तो उस दौरान उन्हें इन झुग्गियों की कई महिलाओं ने शराब के नशे से परेशान अपने पतियों के कारण जो रोज-रोज उनके परिवार को मानसिक व आर्थिक प्रताडऩा से जूझना पड़ता है उसकी शिकायत की थी लेकिन उस समय जैसा कि मुख्यमंत्री लोगों को आश्वासन देते हैं इन महिलाओं को भी आश्वासन देकर शराब कारोबार को बंद करने का कहकर खुश कर दिया था? लेकिन अब लगता है कि प्रदेश में जब आबकारी मंत्री की भजकलदरम की नीति के चलते शराब की घर पहुंच सेवा की स्थिति निर्मित हो गई है और ऐसी ही स्थिति में मुख्यमंत्री द्वारा अपने निवास में कार्यरत मंदसौर के पूर्व कलेक्टर रहे ओ पी श्रीवास्तव जिनके द्वारा जिले में बनाये गये सुशासन भवन के दौरान जो उनकी जो कलाकारी उजागर हुई थी उन्हीं ओ पी श्रीवास्तव को अब आबकारी विभाग में मंदसौर के "सुशासन भवन "की तरह कारनामे दिखाने के लिये उन्हें आबकारी आयुक्त बना दिया गया है ! उनकी अभी तक की कार्यशैली से तो यही प्रमाणित हो रहा है कि अभी तक तो आबकारी मंत्री की भजकलदारम की नीति की राह पर चलते हुए प्रदेश में शराब की जो स्थिति घर पहुंच सेवा की हो गई थी? ओपी श्रीवास्तव की अभी तक आबकारी आयुक्त बनते ही उनकी कार्यशैली देखा जाये तो,श्रीवास्तव के रहते वह स्थिति भी दूर नहीं जब प्रदेश में शराब की नदियां बहेंगी और अलीराजपुर व झाबुआ की तर्ज पर प्रदेश का पुलिस, आबकारी और जिला प्रशासन तीन करोड़ की सालाना बांटने बाली रिश्वत में बढौतरी करवा कर लाभ उठाते हुए मालामाल होंगे और प्रदेश के लोग इस शराब को पीकर कंगाल होंगे?अभी तो तक तो शराब कारोबारी दो जिलों में तीन करोड़ की रिश्वत भोपाल तक बांटते हैं तो प्रदेश में अन्य जिलों में कितनी रिश्वत बांटी जाने की खबरें है ? यह जांच और शोध का विषय है ?जानकारों की माने तो झाबुआ और अलीराजपुर जिले से मिली तीन करोड़ रूपये रिश्वत की जानकारी सही भी हो सकती है?यही बजह है कि शराब कारोबारीयों की जो जानकारी आबकारी आयुक्त ओपी श्रीवास्तव, अबकारी विभाग में वर्षों से पदस्थ नेमा, वर्मा और शर्मा से जुटा रहे हैं? इसको लेकर भी विभाग में चर्चाओं का दौर जारी है? अब विभाग में इस प्रकार की चर्चाएं नेमा एवं वर्मा से आबकारी आयुक्त को दी गई सलाह के परिणाम तो वही होंगे जो इन दिनों शराब डिस्टलरियों से लेकर प्रदेशभर में बन रही सहरिया स्कॉच के कारोबारियों के द्वारा कितनी रिश्वत बांटी जाती है ?उसकी वसूली की बदौलत इस प्रदेश में शराब का अवैध कारोबार दिनदूना रात चौगुना पनप रहा है फिलहाल तो आबकारी मंत्री और मंदसौर के तत्कालीन कलेक्टर के नाते अपने सुशासन भवन में सुशासन की भूमिका अदा करने वाले ओपी श्रीवास्तव से तो यह उम्मीद तो नहीं की जा सकती कि वह प्रदेश में अवैध शराब के कारोबार के खिलाफ कोई सार्थक मुहिम चला पाएंगे? हाँ, यह जरूर है कि प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती के द्वारा चलाई जा रही नशा मुक्ति से लोगों में जागरुकता आ रही है और वह जागरुकता अलीराजपुर के राणापुर के द्वारा चलाई जा रही मुहिम के तहत ही यह नशा मुक्ति हो सकेगी और महिलाओं में जागरुकता आयेगी उसके परिणाम क्या होंगे यह भी भविष्य की गर्त में हैं फिलहाल आबकारी मंत्री की तर्ज पर आबकारी आयुक्त भजकलदारम की कार्यशैली को अपनाकर इस प्रदेश में तत्कालीन कलेक्टर मंदसौर के समय अपनाई गई नीति को बढ़ावा देने पर बल देेंगे ऐसा आबकारी विभाग ही नहीं बल्कि शराब कारोबारियों का मत है और इसी उम्मीद में यह शराब कारोबारी और वह डिस्टलरी मालिक जिनके यहां से एक-एक टीपी पर दस-दस रंगीन फोटो कांपियां करवा कर दस दस गाडिय़ां अवैध शराब के कारोबारियों तक पहुंचाने का खेल भी विभाग अधिकारियों को बदौलत ही जारी रही हैं? यही उम्मीद लगाए अवैध शराब कारोबारी बैठे हुए हैं? अब यह भविष्य बतायेगा कि मंदसौर के तत्कालीन कलेक्टर के कार्यकाल में सुशासन भवन के नाम पर अपनी कारगुजारी दिखाने वाले ओपी श्रीवास्तव प्रदेश के आबकारी विभाग में किस तरह का सुशासन लायेंगे या फिर भजकलदारम की कार्यशैली को इन दिनों आबकारी विभाग के नेमा जैसे अधिकारियों से अध्ययन कर , जिसमें वह लगे हुए हैं ? फिलहाल आबकारी विभाग में आयुक्त की इस अध्ययन बाली कार्यशैली को लेकर तरह तरह की चर्चाएं चटखारे लेकर जारी है! इस अध्ययन मनन,और विभाग के माहिर अधिकारियों के साथ करने के बाद उनकी ततकालीन मंदसौर कलेक्टर बाली कार्यशैली की प्रतीक्षा में विभाग के अधिकारियों के साथ साथ कई कारोबारी लगे हुए हैं?
*संजीब पुरोहित,सम्पादक*
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