जिद्दी रिपोर्टर अपडेट.... •शिवराज मामा कुछ माह पूर्व छात्राबास में आपका 6 साल का मासूम भांजा दर्द से तड़पता रहा रात भर नही ली आपके जिम्मेद...
जिद्दी रिपोर्टर अपडेट....
•शिवराज मामा कुछ माह पूर्व छात्राबास में आपका 6 साल का मासूम भांजा दर्द से तड़पता रहा रात भर नही ली आपके जिम्मेदारों ने सुध
•6 बर्षीय आदिवासी मासूम बच्चे के चोटिल होने के मामले में एक सोकाश नोटिश देकर जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्ला नही ली कोई सुध
•खबर यह तक आ रही है कि जिले के छात्रबासो में रह रहे बच्चे तेल साबुन और जरूरतमंद समान अपने घर से लाकर रहते है फिर भी दर्द की पुकार सुनने वाला कोई नही
संजीब पुरोहित संपादक✒️
शिबपुरी। मध्यप्रदेश में आज शासकीय विभागों के जो हालात है वो किसी से छुपे नही है अधिकारी कर्मचारी बेलगाम हो चुके है कोई सुनने वाला नही कोई कहने वाला नही सुशाशन की उड़ रही है धज्जियाँ सारी योजनाएं धरातल पर सिर्फ और सिर्फ शून्य नजर आ रही है सिर्फ और सिर्फ कागजों में सारी योजनाएं संचालित हो रही है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया था कुछ माह पूर्व शिबपुरी जिले के आदिम जाति कल्याण बिभाग के बरोदी स्थित छात्राबास आश्रम का जहा एक 6 बर्षीय आदिवासी मासूम बालक छात्राबास में अध्यन करने के लिए उसके परिजन छोड़ जाते है और वह अध्यन हेतु छात्राबास में रहने लगता है एक दिन वह मासूम अपने कपड़े उठाने के लिए छत पर जाता है और वहां पर लोहे के एक सरिए से उसके सिर में चोट लग जाती है और वह चोटिल हो जाता है इसके बाद वह रात भर दर्द से तड़पता रहता है और सुबह वहां पदस्थ चपरासी ने उसके परिजन को बुलबाया और उनसे कहा कि अपने बच्चे को घर ले जाओ और इलाज करबा दो परिजनों ने कहा कि यहां इलाज क्यों नही हुआ तो उसने कहा कि हमारे पास इलाज को पैसे नही है तुम खुद जाकर इलाज करबाओ फिर कही जॉकर परिजन अपने साथ ले आये और 6 बर्षीय मासूम का इलाज कराया अब सबसे बड़ा चिंतन का बिषय ये है कि अगर शासकीय छात्राबासो में बच्चों के लिए इलाज को वैसे नही तो संचालित ही क्यों हो रहे है और शासकीय कर्मचारियो की मानबीय सम्बेदनाये बिल्कुल मर चुकी है क्या जिसे 6 बर्षीय मासूम का दर्द दिखाई नही दिया जिम्मेदार अपने कर्तव्य से कैसे मुह चुरा सकते है।
कलेक्टर शिवपुरी के संज्ञान में मामले को लाया गया लेकिन बिभाग द्वारा सोकाश नोटिश देकर अपना पल्ला झाड़ लिया गया
जब इस बेहद गम्भीर मामले को जिला कलेक्टर के संज्ञान में व्हाट्सअप के जरिये लाया गया तो सम्बंधित बिभाग ने शोकाश नोटिश जारी कर दिया लेकिन सबसे बड़ा सबाल ये ही कि इतने बेहद गम्भीर और सम्बेडनशील मामले पर सिर्फ शोकाश नोटिश पर ही कारवाही क्यों समेट दी गयी चिंतनीय बिषय है आज तक उस छात्राबास पर कोई भी कार्यवाही कलेक्टर शिवपुरी नही कर सके मासूम की दर्द भरी करुण पुकारे कलेक्ट्रेड के दफ्तरों में गूंज कर दबकर मर गयी।
जिले के समस्त छात्रबासो में स्थिति और भी दयनीय हो सकती है मासूम नेनिहालो की ये तो सिर्फ एक उदाहरण मात्र है
हम बात करे जिले के छात्राबासो में अध्ययनरत और निबासरत बच्चों की स्थिति पर नजर डालना अति आबश्यक हो गया है इस मामले को देखकर क्योंकि अगर छात्राबासो में बच्चों के दर्द को समझने वाला कोई नही तो बच्चे रहेंगे कैसे और क्यों अधीक्षक रहते नही चपरासियों के भरोसे चल रहे है अधिकांशतः छात्राबास जांच आबश्यक है सभी छात्राबासो मे रह रहे बच्चों की जमीनी हकीकत जानने के लिए मासूम किसके सहारे रहे परिजनों को छोड़कर बेहद गम्भीर बिषय लेकिन कलेक्टर शिबपुरी इतने गम्भीर मामले पर सोचने पर मजबूर नही हुए चिंताजनक बात है।
आदिम जाति कल्याण बिभाग पूर्व से ही रहा है भ्रस्टाचार को लेकर बिबादो में लोकायुक्त में भी धरे जा चुके है अधिकारी
आदिम जाति कल्याण बिभाग में भ्रस्टाचार की जो कहानियो की इबारत लिखी जा रही है वह किसी से छुपी नही है कई बार हो चुके है भ्रस्टाचार के मामले उजागर जिला अधिकारी और बिभागीय कर्मचारी लोकायुक्त में धरे जा चुके है इससे ये कहना गलत नही होगा कि इसमें भ्रस्टाचार की कितने बड़े स्तर की कहानियां लिखी जा रही है पर हमेशा बरिष्ठ स्तर से आशीर्वाद प्राप्त होने से बक्श दिया जाता है।
जिले में आदिम जाति कल्याण बिभाग के छात्राबास में अधिकांशतः अव्यबस्थाओ का आलम पसरा हुआ है*
अगर बात करे जिले के अंदर आने वाले समस्त आदिम जाति कल्याण बिभाग के छात्राबास की तो भारी अव्यबस्थाओ के बीच संचालित होने की खबरे भी मीडिया में कई बार छाई रही कई अधीक्षकों पर चार चार जगह का चार्ज दिया रखा है जब बच्चों को मिलने वाले राशन और सुबिधाये बच्चों को नही मिलेंगी तो कहा बजट ठिकाने लगाया जा रहा है चिंतन योग्य बात है गुजारिश है एक जांच दल बनाकर सारे छात्राबास की जमीनी हकीकत जानी जाए।
कलेक्टर शिबपुरी से अनुरोध है कि मासूम की करुण पुकार और दर्द से सिसकती आंखों से निकली अश्रु धारा को इतने माह गुजर जाने के बाद भी आपके द्वारा संज्ञान नही लिया गया और न ही बिभाग द्वारा दंडित किया गया सलिये मासूम को नयाय मिलना चाहिए बस
सूत्रों की माने तो छात्राबासो में रह रहे बच्चों के परिजन तेल साबुन आदि जरूरतमंद सामग्री स्वयं के व्यय पर घर से ही भेजते है फिर शासकीय बजट अधीक्षक कहा ठिकाने लगा रहे है भगवान भरोसे है
संजीब पुरोहित,संपादक✒️
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